क कोशिकांग
1 . माइटोकांड्रिया - केवल यूकैरिओट कोशिकाओं मैं पाया जाता है
- खोज-कोलिकर परन्तु श्रेय -अल्तमान को जाता है
- नामकरण -सी बेंदा ने यह एक दोहरी झिल्ली युक्त कोशिकांग है
- आंतरिक झिल्ली की गुहां मई अंगुलीनुमा वालन निकले रहते है जिन्हे क्रिस्टी कहते है
- क्रिस्टी के मध्य मैट्रिक्स पाया जाता है माइटोकांड्रिया मैं 70 s रिबोसोम पाया जाता है

2 प्लास्टिड [लवक]- ये पादप कोशिकाओं मैं होते है जैसे -हरित लवक , वर्णिलावक ,अवर्णिलावक
3 लाइसोसोम=> क्रिश्चियन डी डूवे ने सर्वप्रथम सन् 1955 में लाइसोसोम की खोज की। ये गोलाकार काय होते हैं, जिनके व्यास 0.4u-0.8u तक होता है। ये इकहरी युनिट मेम्ब्रेन से बने होते हैं तथा इनके अन्दर सघन मैट्रिक्स भरा रहता है, जिसमें ऐसिड फास्फेटेज एन्जाइम भरे रहते हैं।
1.न्यूक्लियेजेस - ये नाभिकीय अम्लों का नाइट्रोजनी क्षार , फास्फेट तथा शर्करा में जल - अपघटन करते हैं।
2. फास्फेटेजेस - ये फास्फेट यौगिकों का जल - अपघटन करते हैं।
3. प्रोटियेजेस - ये प्रोटीन्स का अमीनो का अम्लों में जल अपघटन करते हैं।
4. ग्लाइकोसाइडेजेस - ये जटिल कार्बोहाइड्रेट्स का मोनोसैकेराइड्स में जल अपघटन करते हैं।
5. सल्फेटेजेस - ये सल्फेट यौगिकों का जल अपघटन करते हैं।
6. लाइपेजेस - ये लिपिड अणुओं का ग्लिसरॉल तथा वसीय अम्लों में जल अपघटन करते हैं। 7.लाइसोसोम के फटने के साथ ही कोशिका विभाजन का प्रक्रम आरम्भ हो जाता है।
4 आन्तरद्रव्य जालिका या अंतःप्रद्रव्यजालिका (Endoplasmic reticulum)
सुकेन्द्रिक कोशिकाओं में एक झिल्लीदार कोशिकांग है। इस की झिल्ली केन्द्रक की झिल्ली से निकलती है। अंग्रेज़ी में अन्तर्दविक जालिका को एॆन्डोप्लाज़मिक रॆटिकुलम कहा जाता है। कोशिका में इस के दो प्रकार होतें हैं। एक प्रकार (रफ़) पर राइबोसोम जुड़े होतें हैं जहां प्रोटीन संश्लेषण होता है और दूसरा प्रकार (स्मूद) राइबोसोम रहित होता है। अन्तर्द्रविक जालिका पर संश्लेषित किए प्रोटीन कोशिका के बाहर भेजने के लिए होते हैं।
5 राइबोसोम सजीव कोशिका के कोशिका द्रव में स्थित बहुत ही सूक्ष्म कण हैं, जिनकी प्रोटीनों के संश्लेषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ये आनुवांशिक पदार्थों (डीएनए या आरएनए) के संकेतों को प्रोटीन शृंखला में परिवर्तित करते हैं ये एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम के ऊपरी सतह पर पाये जाते हैं, इसके अलावा ये माइटोकाण्ड्रिया तथा क्लोरोप्लास्ट में भी पाये जाते हैं। राइबोसोम एक संदेशधारक राईबोस न्यूक्लिक अम्ल (एमआरएनए) के साथ जुड़े रहता है जिसमें किसी विशेष प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक अमीनो अम्ल को सही क्रमानुसार लगाने का संदेश रहता है। अमीनो अम्ल संदेशवाहक आरएनए अणुओं के साथ संलग्न रहते हैं। इस प्रकार राइबोसोम प्रोटीन के संश्लेषण में तो सहायता करता ही है लिपिड के उपापचयी क्रियाओं में भी सहायता करता है।
राइबोसोम की खोज 1955 के दशक में रोमानिया के जीववैज्ञानिक जॉर्ज पेलेड ने की थी। उन्होंने इस खोज के लिए इलैक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग किया था जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। राइबोसोम नाम १९५८ में वैज्ञानिक रिचर्ड बी. रॉबर्ट्स ने प्रस्तावित किया था। राइबोसोम और उसके सहयोगी अणु २०वीं शताब्दी के मध्य से जीवविज्ञान के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाए हुए हैं। उन पर काफी शोध और अनुसंधान भी प्रगति पर हैं। राइबोसोम की दो उप-इकाइयां होती हैं जो एकसाथ मिलकर प्रोटीन के निर्माण में कार्यरत रहती हैं। इन दोनों उप-इकाईयों का आकार एवं गठन प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकाओं में भिन्न-भिन्न होता है। को भारतीय मूल के वैज्ञानिक वेंकटरमन रामकृष्णन को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।उन्हें राइबोसोम की कार्यप्रणाली व संरचना के उत्कृष्ट अध्ययन के लिए यह पुरस्कार संयुक्त रूप से दिया गया।उनके इस शोध-कार्य से कारगर प्रतिजैविकों को विकसित करने में मदद मिलेगी। इसराइली महिला वैज्ञानिक अदा योनोथ और अमरीका के थॉमस स्टीज़ को भी संयुक्त रूप से इस सम्मान के लिए चुना गया।
6 केन्द्रक
कोशिका विज्ञान में केन्द्रक (लातीनी व अंग्रेज़ी: nucleus, न्यूक्लियस) वनस्पतियों, प्राणियों और सुकेन्द्रिक जीवों की अधिकांश कोशिकाओं में दोहरी झिल्ली द्वारा बंद एक भाग (या कोशिकांग) होता है। सुकेन्द्रिक जीवों की हर कोशिका में अधिकतर एक केन्द्रक होता है, लेकिन स्तनधारियों की लाल रक्त कोशिकाओं में कोई केन्द्रक नहीं होता और ओस्टियोक्लास्ट कोशिकाओं में कई केन्द्रक होते हैं। प्राणियों के केन्द्रकों का व्यास लगभग ६ माइक्रोमीटर होता है और यह उनकी कोशिकाओं का सबसे बड़ा कोशिकांग होता है।
कोशिका केन्द्रकों में कोशिकाओं की अधिकांश आनुवंशिक सामग्री होती है, जो कई लम्बे डी॰ ऍन॰ ए॰ अणुओं में सम्मिलित होती है, जिनके रेशों कई प्रोटीनों के प्रयोग से गुण सूत्रों (क्रोमोज़ोमों) में संगठित होते हैं। इन गुण सूत्रों में उपस्थित जीन कोशिका का जीनोम होते हैं और कोशिका की प्रक्रियाओं को संचालित करते हैं। केन्द्रक इन जीनों को सुरक्षित रखता है और जीन व्यवहार संचालित करता है, यानि केन्द्रक कोशिका का नियंत्रणकक्ष होता है। पूरा केन्द्रक एक लिपिड द्विपरत की बनी झिल्ली द्वारा घिरा होता है जो केन्द्रक झिल्ली (nuclear membrane) कहलाती है और जो केन्द्रक के अन्दर की सामग्री को कोशिकाद्रव्य से पृथक रखता है। केन्द्रक के भीतर केन्द्रक आव्यूह (nuclear matrix) कहलाने वाला रेशों का ढांचा होता है जो केन्द्रक को आकार बनाए रखने के लिए यांत्रिक सहारा देता है, ठीक उसी तरह जैसे कोशिका कंकाल पूरी कोशिका को यांत्रिक सहारा देता है।